अध्याय 153 भाग 5

एवरी

"तुम मेरी हो, एवरी," उसने मेरी त्वचा पर फुसफुसाया, उसकी आवाज़ में एक गहरी, मोहक गूँज थी जिसने मेरी रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी। "और मैं तुम्हें याद दिलाने वाला हूँ कि तुम कितनी मेरी हो।"

उसके शब्द एक चिंगारी की तरह थे, जिसने मेरे भीतर गहराई में एक आग जला दी। मैंने अपने भीतर की रेजिना को हिल...

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